पिथौरागढ़। देश को अंग्रेजी हुकुमत से आजादी मिले 77वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन नेपाल, चीन पर बसे सीमांत जनपद के कुछ गांव आजादी के बाद भी तमाम तरह की दिक्कतों से जूझ रहे हैं। कहीं कोई सड़क के लिए जूझ रहा है तो कहीं लोग संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी जरूरी सुविधाओं से भी अब तक महरूम हैं। मुनस्यारी का गांधीनगर भी ऐसे ही गांवों में शामिल हैं।आजादी की लड़ाई में देश को तीन-तीन स्वतंत्रता सेनानी देने वाले गांधीनगर को सरकार सड़क सुविधा से नहीं जोड़ सकी है। ग्राम प्रधान राजेश रोशन बताते हैं कि सड़क न होने से ग्रामीणों को सात किमी पैदल आवाजाही करनी पड़ती है। रोगियों को कंधे में ढोकर वह मुख्य सड़क तक पहुंचाते हैं। धारचूला के दूरस्थ कनार गांव में मुख्यमंत्रियों की घोषणा भी ग्रामीणों को सड़क से नहीं जुड़ सकी है। ग्रामीण 16 किमी पैदल चल मुख्य सड़क तक पहुंच पाते हैं। एक तरफ लोगों को होम डिलीवरी की सुविधा मिल रही है, वहीं कनार के लोग खच्चरों से राशन ढोकर घर तक पहुंचा रहे हैं। बंगापानी के मेतली भटभटा के ग्रामीण भी सड़क न होने से परेशान हैं। बीते रोज ही 70वर्षीय बुजुर्ग हरम सिंह पुत्र भवान सिंह की तबीयत अधिक बिगड़ने पर ग्रामीणों डोली के जरिए 12किमी पैदल लेकर आए। बाद उन्होंने वाहन से जिला अस्पताल पहुंचाया गया। तब कहीं उन्हें स्वास्थ्य सुविधा मिली।