देश/ विदेश। नेपाल में मची उथल-पुथल के बीच देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश ( सीजेआई) सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से शुक्रवार देर शाम इसकी घोषणा की गई, जिसके बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उन्हें शपथ दिलाई। देश में हाल ही में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद कार्की पर मौजूदा हालातों को संभालकर सामान्य स्थिति बहाल करने की बड़ी जिम्मेदारी है।

हिंसक प्रदर्शनों के बाद मिला मौका
नेपाल में हाल ही में कथित तौर पर सोशल मीडिया बैन और सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने इस सप्ताह हिंसक रूप ले लिया था। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जेन-Z के युवाओं ने संसद पर धावा बोल दिया, जिसके बाद पुलिस की गोलीबारी में 19 लोग मारे गए। गुस्साए युवाओं ने देश के गृह मंत्री सहित सरकार के कई बड़े मंत्रियों के घरों पर भी धावा बोला। इस दौरान संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट सहित कई बड़े होटलों को भी आग के हवाले कर दिया गया। इन हिंसक झड़पों में 51 लोगों की मौत हुई और तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद युवाओं की पहली पसंद के रूप में सुशीला कार्की का नाम सामने आया।
एक समय महाभियोग प्रस्ताव का भी करना पड़ा था सामना
यह बात कम ही लोग जानते हैं कि एक समय पर सुशीला कार्की को मुख्य न्यायाधीश के पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव भी लाया गया था। इसके बावजूद, अब उन्हें देश को संकट से बाहर निकालने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।
कौन हैं सुशीला कार्की?
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने वकालत शुरू करने से पहले राजनीति विज्ञान और कानून की पढ़ाई की थी।
* 1972 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
* 1975 में भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।
* 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल से कानून की डिग्री प्राप्त की।
उन्होंने 1979 में विराटनगर में वकालत शुरू की। अपनी काबिलियत के दम पर वह आगे बढ़ती गईं और 22 जनवरी 2009 को उन्हें नेपाल के सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।