स्कूल छोड़ मेले की ‘ठेकेदारी’? जौलजीबी महोत्सव में सरकारी शिक्षक की ‘मनमानी’ पर बवाल, पुष्कर महर बोले- हो रहा पक्षपात

लोकगायक पुष्कर महर ने खोला मोर्चा; सरकारी शिक्षक पर लगाया मनमानी करने और पुरानी देनदारी मांगने पर सूची से नाम काटने का आरोप
पिथौरागढ़/धारचूला भारत-नेपाल सीमा पर आयोजित होने वाला ऐतिहासिक और अंतर्राष्ट्रीय जौलजीबी मेला इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रमों को लेकर गहरे विवादों में घिर गया है। मेले की सांस्कृतिक संध्याओं को लेकर क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोकगायकों और कलाकारों ने आयोजन समिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जाने-माने लोकगायक पुष्कर महर ने आरोप लगाया है कि मेले में ‘कमीशन-खोरी’ और पक्षपात का बोलबाला है, जिसके चलते स्थानीय प्रतिभाओं का गला घोंटा जा रहा है।
पुष्कर महर ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मेला कमेटी द्वारा कुमाऊंनी संस्कृति और स्थानीय गायकों को दरकिनार किया जा रहा है। उनका आरोप है कि स्थानीय कलाकारों को उचित मंच देने के बजाय दिल्ली और नेपाल के कलाकारों पर सरकारी धनराशि पानी की तरह बहाई जा रही है, जिसमें कमीशन का बड़ा खेल चल रहा है। कलाकारों के आक्रोश के केंद्र में मुख्य रूप से करण थापा हैं। स्थानीय कलाकारों का कहना है कि मेले के आयोजनों में “पूरा खेल करण थापा का है।” पुष्कर महर ने दावा किया कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सूची में उनका नाम पहले शामिल था, लेकिन द्वेषभावना के चलते करण थापा ने जानबूझकर उनका नाम हटवा दिया।
विवाद केवल कलाकारों के चयन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आर्थिक शोषण का मामला भी सामने आया है। कलाकार  पुष्कर महर ने खुलासा किया कि पिछले वर्षों के जौलजीबी मेले का भुगतान उन्हें अब तक नहीं किया गया है। इनका आरोप है कि अपने पुराने बकाये भुगतान की आवाज उठाने की कोशिश कि तो सूची से उनका नाम काट दिए गया।
मेला प्रशासन की इस कार्यप्रणाली से नाराज महर ने अब आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि कलाकारों के चयन प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बरती जाए, भाई-भतीजावाद खत्म हो और रोके गए पुराने भुगतान तत्काल जारी किए जाएं। इस मुद्दे को लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है और जल्द ही कलाकारों का एक प्रतिनिधिमंडल सामूहिक रूप से प्रशासन को ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर रहा है।