विकास की नई डगर पर पिथौरागढ़: धार्मिक, इको टूरिज्म और सीमा व्यापार के केंद्र बनेंगे पांच निकाय, ‘स्लो सिटी’ बनेगा बेरीनाग

पिथौरागढ़। जनपद के सुनियोजित और दीर्घकालिक विकास को गति देने के लिए आज जिलाधिकारी आशीष भटगाँई की अध्यक्षता में एक अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस दौरान पिथौरागढ़ जिले के पाँच शहरी स्थानीय निकायों पिथौरागढ़, धारचूला, डीडीहाट, बेरीनाग और गंगोलीहाट की वर्तमान स्थिति, विकास संभावनाओं और भविष्य की दिशा पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह मास्टर प्लान जनपद के दीर्घकालीन विकास का आधार बनेगा, जिसके लिए उन्होंने सभी विभागों को सटीक डाटा, गुणवत्तापूर्ण योजना और समयबद्ध कार्य सुनिश्चित करने के कड़े निर्देश दिए।
पांच नगरों के लिए तय हुआ विशिष्ट विज़न
बैठक के दौरान स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, भोपाल के विशेषज्ञों ने एक विस्तृत पावर प्वाइंट प्रस्तुति दी। इसमें जनपद की भौगोलिक, आर्थिक और विकास संबंधी संभावनाओं का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुति में पांचों नगरों के लिए उनकी नैसर्गिक पहचान के आधार पर विशिष्ट विज़न तय किए गए हैं। इसके तहत, बेरीनाग को उसके शांत वातावरण और हिमालयी दृश्यों के कारण “स्लो सिटी” एवं अवकाश–पर्यटन नगर के रूप में विकसित किया जाएगा। वहीं, गंगोलीहाट को महाकाली मंदिर की प्रसिद्धि को देखते हुए धार्मिक पर्यटन नगर के रूप में उभारा जाएगा। धारचूला को सीमा व्यापार और कैलाश मानसरोवर मार्ग पर उसकी रणनीतिक स्थिति के कारण सीमा व्यापार एवं बॉर्डर टूरिज्म मार्केट के रूप में विकसित करने की योजना है। डीडीहाट को उसके मनोहर हिमालयी दृश्य और मलायनाथ मंदिर की उपस्थिति के कारण इको-टूरिज्म नगर के रूप में पहचान मिलेगी। जबकि पिथौरागढ़ को प्रशासनिक व संस्थागत केंद्र, आर्मी कैंटोनमेंट और MICE (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन, प्रदर्शनियाँ) पर्यटन नगर के रूप में विकसित किया जाएगा।
कनेक्टिविटी और ड्रेनेज पर विशेष फोकस
बैठक में सड़क और वायु संपर्क पर भी विस्तृत जानकारी साझा की गई। देहरादून, बागेश्वर, चंपावत और दिल्ली को जोड़ने वाले  एनएच–109 और एनएच –09 को जिले के प्रमुख संपर्क मार्ग बताया गया, जो कनेक्टिविटी में अहम भूमिका निभाते हैं। पिथौरागढ़ का सबसे निकट हवाई अड्डा नैनी-सैनी एयरपोर्ट है। तकनीकी निष्कर्षों में बताया गया कि डीडीहाट, बेरीनाग और पिथौरागढ़ में मध्यम जल निकासी घनत्व है, जहां पानी का संतुलित बहाव और बेहतर उपलब्धता दर्ज की गई। हालांकि, विशेषज्ञों ने जल संरक्षण योजनाओं, बाढ़–कटाव प्रबंधन और शहरी क्षेत्रों में सुविचारित ड्रेनेज प्लानिंग की आवश्यकता पर विशेष बल दिया है।
विकास की राह में अवसर और चुनौतियां
प्रस्तुति में जनपद के विकास का व्यापक एसडब्ल्यूओसी  (ताकतें, कमजोरियाँ, अवसर और चुनौतियाँ) विश्लेषण भी प्रस्तुत किया गया। ताकतों में जिले के रणनीतिक स्थान, प्रशासनिक केंद्र होने का दर्जा, सांस्कृतिक पहचान और बेहतर सड़क–हवाई संपर्क को शामिल किया गया है। वहीं, कमज़ोरियों में सीमित भूमि की उपलब्धता, कमजोर सीवरेज सिस्टम, कचरा निस्तारण की गंभीर समस्या और पुराने भवन उपविधियों को प्रमुखता से सामने रखा गया। अवसरों की बात करें तो नए वाणिज्यिक क्षेत्रों का विकास, उन्नत सड़क संपर्क, रोपवे और मल्टीलेवल पार्किंग की सुविधाएँ तथा स्मार्ट गवर्नेंस के माध्यम से विकास की अपार संभावनाएँ हैं। हालांकि, चुनौतियों में भूकंप व भूस्खलन का उच्च जोखिम, पर्यटन दबाव का प्रबंधन, रियल एस्टेट की बढ़ती लागत और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी को मास्टर प्लान के क्रियान्वयन में बड़ी बाधाएँ माना गया है।

बैठक में मुख्य विकास अधिकारी डॉ दीपक सैनी, अपर जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह सहित सम्बंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे ।