देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज आईटी पार्क स्थित उत्तराखंड राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही वर्षा की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने मानसून के दृष्टिगत आगामी दो माह तक शासन और प्रशासन के अधिकारियों को 24 घंटे अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए।

चारधाम यात्रा के लिए आवश्यक प्रबंध
मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा पर आए सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षा की दृष्टि से संबंधित जिलाधिकारिकों को आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं के लिए भोजन, दवाइयों और बच्चों के लिए दूध और अन्य मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
चारधाम यात्रा पर रोक
मुख्यमंत्री ने कहा कि अत्यधिक बारिश की संभावनाओं के दृष्टिगत और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए अगले 24 घंटे के लिए चारधाम यात्रा को रोका गया है।
नदियों और गदेरों के आसपास रहने वालों के लिए निर्देश
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि नदियों और गदेरों के आसपास रह रहे और आपदा की दृष्टि से संवेदनशील स्थलों पर रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जिन क्षेत्रों में निर्माण कार्य चल रहे हैं, वहां पर लोग सुरक्षित स्थानों पर हों।
आपदा प्रबंधन और राहत कार्य
मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी के तहसील बड़कोट क्षेत्र में बादल फटने की वजह से मिसिंग मजदूरों के सर्च और रेस्क्यू अभियान में और तेजी लाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि रुद्रप्रयाग में हुए वाहन दुर्घटना में जो लोग अभी लापता हैं, उनकी खोजबीन कार्यों में और तेजी लाई जाए।
गर्भवती महिलाओं के लिए निर्देश
मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी जनपदों में गर्भवती महिलाओं का डेटा बेस बनाया जाए। सितंबर माह तक जिन महिलाओं का डिलीवरी होना है, उनका नियमित अपडेट रखा जाए। प्रसव पूर्व उन्हें अस्पतालों तक पहुंचाने की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए। जच्चा और बच्चा की सुरक्षा की दृष्टि से सभी प्रभावी कदम उठाए जाएं।
सड़कों की स्थिति और आपदा प्रबंधन
मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश के कारण जो सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं, उनको जल्द खुलवाने की व्यवस्था की जाए। संवेदनशील स्थानों पर जेसीबी और अन्य आवश्यक उपकरणों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। जिन क्षेत्रों में नदी, नाले, गदेरे रास्ते बदल सकते हैं, ऐसे क्षेत्रों में आवश्यकता पड़ने पर चैनलाइजेशन और अन्य प्रबंधन जो सुरक्षात्मक दृष्टि से हो सकते हैं, किए जाएं।