डॉ. मंजू बाला को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार: उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली को मिली नई पहचान

नई दिल्ली। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2025 समारोह में उत्तराखंड का नाम रोशन हुआ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश भर के 45 उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया, जिनमें चंपावत जिले के प्राथमिक विद्यालय च्यूरानी की प्रधानाध्यापिका डॉ. मंजू बाला भी शामिल थीं। वह यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाली उत्तराखंड की एकमात्र शिक्षिका हैं। साथ ही, वह राज्य की पहली महिला प्रधानाध्यापिका भी हैं, जिन्हें यह सम्मान मिला है।
डॉ. मंजू बाला, जो 2005 से प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं, को यह सम्मान शिक्षा में उनके अनूठे ‘त्रिभाषा तकनीक’ के लिए दिया गया है। इस तकनीक के तहत, वह विद्यार्थियों को हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ उनकी स्थानीय मातृभाषा कुमाऊँनी में भी पढ़ाती हैं। इस नवाचार से बच्चों के लिए विषयों को समझना और भी आसान और प्रभावी हो गया है, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की गई है।
यह उपलब्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि नई शिक्षा नीति में भी त्रिभाषा तकनीक को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। डॉ. मंजू बाला का यह प्रयास न केवल उनके स्कूल के बच्चों के लिए फायदेमंद है, बल्कि वह हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के छात्रों को भी अंग्रेजी की मुफ्त कोचिंग देती हैं, जिससे उनकी पहुँच और प्रभाव का दायरा और बढ़ जाता है।
डॉ. मंजू बाला की यह उपलब्धि उत्तराखंड द्वारा गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा के क्षेत्र में की जा रही प्रगति को दर्शाती है। हाल के वर्षों में, राज्य ने अपने स्कूलों में नई शिक्षण पद्धतियों, तकनीकी साधनों और शिक्षकों के लगातार प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया है। उनकी सफलता राज्य की शिक्षा प्रणाली को राष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान दिलाती है।