हिमालयन वियाग्रा ऐसा क्या खास जो इतना महंगा?
‘हिमालयन वियाग्रा’ को कीड़ा जड़ी या यार्सागुम्बा कहा जाता है। इसे कैटरपिलर फंगस या कॉर्डिसेप्स सिनेंसिस के नाम से भी जाना जाता है। अंतराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी मांग के कारण इसकी कीमत लाखों में है। अंतराष्ट्रीय बाजार में कीड़ा जड़ी की कीमत करीब 20 लाख रुपए प्रति किलो तक है।
कहां पाया जाता है
भूरे रंग का दिखने वाला यह कीड़ा हिमालयी क्षेत्रों में 3500 से 5000 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। भारत में यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली और बागेश्वर में पाया जाता है। भारत के अलावा नेपाल, चीन और भूटान में हिमालय और तिब्बत के पठारी इलाकों में भी यह पाया जाता है।
उपयोग और मांग
इस कीट कवक का उपयोग एक शक्तिशाली टॉनिक के रूप में और कैंसर की दवाओं के उत्पादन में किया जाता है। इस कीट कवक की मांग न केवल भारत में बल्कि चीन, सिंगापुर और हांगकांग में भी अधिक है। उन जगहों के व्यापारी अक्सर इसे खरीदने आते हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ रेड लिस्ट में डाला
कीड़ा जड़ी की उपलब्धता तेजी से घट रही है. बीते 15 सालों में इसकी उपलब्धता में 30 फीसदी तक कमी आ चुकी है. पिछले कई सालों से इसकी उपलब्धता वाले क्षेत्रों में 30 फीसदी तक कमी आने के बाद अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने इसे रेड लिस्ट में डाल दिया है।