उत्तराखंड के बीस हजार उपनल कर्मचारियों को झटका

देहरादून। उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी को सरकार वापस नहीं लेगी। साथ ही उपनल कर्मचारियों के लिए मृतक आश्रित कोटा लागू होने की संभावना भी नहीं है। किसी भी उपनल कर्मचारी को विभाग मनमानी से नहीं हटा सकेंगे। किसी उपनल कर्मचारी का कांट्रेक्ट खत्म होने से एक महीना पहले उसे नोटिस देना होगा। उपनल कर्मचारियों की मांगों के समाधान के लिए लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चतर स्तरीय समिति की बैठक में इन बिंदुओं पर सहमति बन गई है। सैनिक कल्याण सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी ने समिति की बैठक का कार्यवृत्त जारी कर दिया है। एसएलपी को वापस लेने की मांग पर समिति का कहना है कि यह सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, जिस पर स्टे जारी हो चुका है। लिहाजा इसे वापस लेने का औचित्य नहीं रह गया है। मालूम हो कि वर्ष 2018 में हाईकोर्ट ने सरकार को उपनल कर्मचारियों का चरणबद्ध तरीके से नियमितीकरण करने का आदेश दिया था। इस आदेश में कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके आश्रित को सरकारी सेवा में लेने के लिए व्यवस्था तय है। मृतक आश्रित नियमावली के अनुसार सरकारी कर्मचारी के आश्रित को नौकरी देने का प्रावधान है। आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए प्रावधान नहीं है। उपनल कर्मचारी के निधन पर अनुग्रह अनुदान के रूप में एक लाख रुपये दिए जाते हैं। लिहाजा इस मांग पर भी कार्यवाही अपेक्षित नहीं है।

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इसमें राहत की उम्मीद

माध्यमिक स्कूलों में प्रयोगशाला सहायकों को कुशल कर्मचारी के रूप में उच्चीकृत करने, आईटीआई में अनुदेशकों को कौशल विकास विभाग के समान वेतनवृद्धि के मामलें में उपनल कर्मियों को राहत की उम्मीद है। उच्च स्तरीय समिति इसका अध्ययन कर रही है। जल्द मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।