पिथौरागढ़।जनपद में मानसून काल में हो रही बारिश से गाड़, गधेरों ने भी इन दिनों नदियों का रूप ले लिया है। धारचूला, मुनस्यारी में जगह-जगह गाड़ गधेरे उफान पर हैं। पूर्व तक जहां लोग इन गाड़, गधेरों में चलकर आवाजाही करते थे, वहीं अब उन्हें पार करना भी चुनौती बना हुआ है। कई जगह तो लोग एक-दूसरे का हाथ पकड़कर गाड़ पार कर रहे हैं तो, कहीं ग्रामीण लकड़ी के खंबों को गाड़ के बीच डालकर उसके ऊपर से जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। वहीं कुछ गांव तो ऐसे भी हैं जो दूसरे क्षेत्र में पहुंचने के लिए जलस्तर घटने का इंतजार करते हैं। धारचूला के जितेंद्र वर्मा बताते हैं कि हिमखोला गांव में ज्यूंती गाड़ है। इस गाड़ को पार करने के बाद तोक खालू, चरपयाकंग, नमफूकांग जाते है। स्थानीय लोगों के मुताबिक वर्ष 2020-21 में आपदा के दौरान यहां पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। इससे 15 से अधिक परिवार खासे परेशान हैं। मानसूनकाल में ग्रामीणों से लेकर स्कूली बच्चे जान खतरे में डालकर इस गाड़ को पार करने को मजबूर हैं। वहीं जलस्तर बढ़ने पर जिंदगी थम सी जाती है। फिर न कोई गांव में आ सकता है और न ही कोई बाहर। मुनस्यारी मवानी दवानी के भगत सिंह बताते हैं कि इन दिनों यहां भ्यूलागाड़ को पार करना ग्रामीणों के लिए चुनौती बना हुआ है। जलस्तर बढ़ने से गांव में आवाजाही एक तरह से बंद हो गई है। जब जलस्तर घटता है तब ही वह गांव से बाहर निकल पाते हैं। कई दफा तो जलस्तर अधिक होने पर स्कूली बच्चों को सुरक्षा को देखते हुए ग्रामीण विद्यालय ही नहीं भेजते हैं। खतरे को देखते हुए गांव में बोर्ड भी लगाया गया है कि मानसून काल में भ्यूलागाड़ उफान पर है। गाड़ पार करने का प्रयास न करें। सेरा सुराईधार में भी कुछ ऐसी ही स्थिति से ग्रामीण जूझ रहे हैं।