प्रदेश में सिर्फ आठ प्रतिशत ​शिक्षक होंगे प्रधानाचार्य बनने की दौड़ में शामिल


दीपक चंद्र

पिथोरागढ़। प्रदेश में प्रधानाचार्यों की नियुक्ति का मामला सुर्खियां बटोर रहा है। ऐसा इसलिए कि नियमावलि के फेर में भर्ती से पहले ही 92 प्रतिशत ​शिक्षक प्रधानाचार्य की दौड़ से बाहर हो गए हैं और सिर्फ आठ प्रतिशत ​शिक्षक ही इसके पात्र हैं। एलटी से प्रवक्ता और फिर हैडमास्टर पद तक पहुंचने वाले ​शिक्षक ही प्रधानाचार्य बन सकते हैं, लेकिन बीते एक दशक से माध्यमिक ​शिक्षा में पदोन्नति न होने से अ​धिकांश ​शिक्षक इस दौड़ से बाहर हो गए हैं। ​शिक्षा विभाग की इन नियमावलि के जाल में उलझ गया है। ऐसे में प्रदेश के अ​धिकांश प्रधानाचार्य विहीन विद्यालयों को मु​खिया मिलने की राह आसान नहीं है।

प्रदेश में माध्यमिक ​शिक्षा में 30,000 ​शिक्षक तैनात हैं। बीते दिनों प्रदेश भर में प्रधानाचार्य के 1100 रिक्त पदों के सापेक्ष 900 से अधिक प्रधानाचार्यों की तैनाती के लिए विज्ञप्ति जारी हुई है, इसमें इन्हीं ​शिक्षकों को प्रधानाचार्य बनने का मौका दिया जाना है। लेकिन नियमावलि के फेर में यह भर्ती प्रक्रिया उलझ गई है। नियमावली के अनुसार प्रवक्ता और एलटी ग्रेड अध्यापकों को वरिष्ठता के आधार पर हाईस्कूल के हैडमास्टर और फिर प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नत किया जाता है। वहीं हैडमास्टर की उम्र 50 साल से कम होनी चाहिए। बीते एक दशक से न तो प्रवक्ता और न ही हैडमास्टर पद पर पदोन्नति हुई है। कोई भी पदोन्नत होकर न तो प्रवक्ता बना है और न हैडमास्टर। नियमावली के अनुसार प्रदेश में पूर्व से तैनात किसी भी हैडमास्टर की उम्र 50 से कम नहीं है। ऐसे में प्रदेश के हैडमास्टर की उम्र 50 साल से कम होनी चाहिए। प्रदेश में विभाग में कार्यरत प्रवक्ताओं को ही इस भर्ती का पात्र माना गया है। नियमावली के अनुसार प्रदेश में सिर्फ 2400 ​शिक्षक हैं जो प्रधानाचार्य की दौड़ में शामिल हो सकते हैं। इन हालात में 27 हजार से अ​धिक ​शिक्षक नियमावली के फेर में प्रधानाचार्य की दौड़ से बाहर हो गए हैं।

2010 से पूर्व प्रवक्ताओं के लिए नहीं​ थी बीएड की अनिवार्यता
2010 से पूर्व लोक सेवा आयोग की तरफ से होनी वाली प्रवक्ताओं की भर्ती के लिए बीएड की बाध्यता नहीं थी। प्रदेश में बगैर बीएड की डिग्री के कई प्रवक्ता तैनात हैं। नियमावली के अनुसार बगैर बीएड के सालों से प्रवक्ता का दायित्व संभालते हुए प्रधानाचार्य बनने की उम्मीद लगाए ​शिक्षक भी इस भर्ती से सीधे बाहर हो गए हैं।