पिथौरागढ़। जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभागार में एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) ने भाग लिया, जिसका मुख्य उद्देश्य इलेक्टोरल लेगेसी डेटा मिलान प्रक्रिया को समझना और लागू करना था। यह प्रक्रिया मतदाता सूची की सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित एक मानक प्रक्रिया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विकसित ईआरओ-नेट नामक एक आईटी एप्लिकेशन के माध्यम से संचालित किया जाता है। यह एप्लिकेशन डेटा को सिंक्रनाइज़ करता है, मतदाता सूची में मौजूद डुप्लिकेट प्रविष्टियों की पहचान करता है, और उनमें सुधार करने में मदद करता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि राज्य सर्वर पर उपलब्ध चुनावी डेटा नियमित रूप से राष्ट्रीय डेटाबेस से मेल खाए।

डेटा मिलान और सत्यापन की प्रक्रिया
कार्यशाला में बताया गया कि ईआरओ-नेट का उपयोग करके फोटो सिमिलर एंट्रीज़ (PSE) और डेमोग्राफिक सिमिलर एंट्रीज़ (DSE) की पहचान की जाती है। इन संदिग्ध प्रविष्टियों को सूचीबद्ध करने के बाद, उनका फील्ड सत्यापन किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मतदाता सूची में कोई भी त्रुटि न रहे। इस प्रक्रिया के तहत, जिन मतदाताओं का स्थानांतरण हो गया है, जिनकी मृत्यु हो गई है, या जो अनुपस्थित हैं, उनके नाम हटाने के लिए फॉर्म-7 का उपयोग किया जाता है।
इसके अलावा, मतदाता पोर्टल, वोटर हेल्पलाइन ऐप, और बीएलओ ऐप के माध्यम से प्राप्त होने वाले सभी आवेदनों को भी ईआरओ-नेट के जरिए ही प्रोसेस किया जाता है।
यह पूरी प्रक्रिया उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) की देखरेख में पूरी पारदर्शिता के साथ चलाई जा रही है। पिथौरागढ़ जिला प्रशासन की वेबसाइट पर भी चुनाव से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी और डेटा उपलब्ध कराया गया है। इस कार्यशाला का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आगामी चुनावों के लिए मतदाता सूची बिल्कुल सटीक हो और कोई भी पात्र व्यक्ति मतदान से वंचित न रहे।