अल्मोड़ा। भंडारे का नाम सुनते ही अक्सर आलू-पूड़ी का ख्याल सबसे पहले आता है, लेकिन विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में लगने वाले भंडारे में इन दिनों श्रद्धालुओं को आलू-पूड़ी, हलुवा के साथ पनीर बटर मसाला, तन्दूरी रोटी, पास्ता, चिली पोटैटो जैसे व्यंजन भी परोसे जा रहे हैं। भंडारों में 56 भोग की परंपरा पूरी करने के लिए भी नए पकवानों को शामिल करना बताया जा रहा है। श्रावण मास में जागेश्वर धाम में उत्तराखंड के अलावा यूपी, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, बंगाल, तमिलनाडु, केरल आदि राज्यों से भक्त पहुंचते हैं। भक्त शिवार्चन, पार्थिव पूजन के बाद पूजा की सफलता के लिए भंडारा भी लगाते हैं। इसके लिए उन्हें पहले से बुकिंग लेनी पड़ती है। अलग राज्यों से रसोइये आने के कारण पकवानों में भी विविधता दिख रही है। अधिकांश भंडारों में अब फल, चना, पूड़ी-सब्जी के साथ पनीर बटर मसाला, दाल मखनी, चावल, तन्दूरी रोटी, खीरे व बूंदी का रायता, सलाद, कढ़ाई दूध, जलेबी, पकौड़ी, फिंगर चिप्स, चिली पोटैटो जैसे पकवान भी शामिल हैं।
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दक्षिण भारत के पकवानों का बढ़ने लगा चलन
दक्षिण भारत के लोगों की जागेश्वर बाबा में अटूट आस्था है। यहां हर साल हजारों की संख्या में दक्षिण भारत से भक्त पहुंच रहे हैं। ये भक्त धाम में भंडारा भी लगा रहे हैं। इनके भंडारों में इडली, डोसा, भटूरे, इमरती, पानी पूरी, कटलेट का भी चलन बढ़ गया है।