उत्तराखंड में बिजली का दोहरा मापदंड, शहरों के मुकाबले गांवों में चार गुना अधिक कटौती 

देहरादून। उत्तराखंड में यूपीसीएल ग्रामीण और शहर में बिजली सप्लाई को लेकर दोहरे मापदंड अपना रहा है। गांवों में शहरों के मुकाबले चार गुना ज्यादा बिजली कटौती हो रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में पेश की गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। शहरों में रोजाना औसतन कटौती महज 43 मिनट है। जबकि गांवों में यह 2.56 घंटे है।उत्तराखंड में गर्मी हो या बरसात, हर सीजन में लोग बिजली कटौती झेलते हैं। छोटे शहर और कस्बों में ऊर्जा निगम के दफ्तरों में धरना-प्रदर्शन आम बात हो गई है। ज्यादातर कटौती मरम्मत के नाम पर होती है। इससे प्रदेश के गांवों में बिजली मिलने का ये औसत राष्ट्रीय औसत से भी कम है। हालांकि अंतर मामूली है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में गांवों में रोजाना औसतन 2.51 घंटे बिजली कटौती होती है। प्रदेश में ये आंकड़ा 2.56 घंटे का है। हालांकि प्रेस इन्फॉरमेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने बीती पांच अगस्त को साझा की रिपोर्ट में दावा किया है कि देश में 2023 के मुकाबले 2024 में बिजली सप्लाई बेहतर हुई है।

हिमाचल, महाराष्ट्र, गोआ की स्थिति बेहतर साल 2023-24 में शहर में प्रतिदिन बिजली मिलने का सबसे बेहतर औसत तमिलनाडु और तेलंगाना का है। इन दोनों राज्यों में हर रोज लोगों को 24 घंटे बिजली मिल रही है। इस सूची में हिमाचल, गोआ, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और मणिपुर भी शामिल हैं। इन सभी राज्यों में प्रतिदिन 23.9 घंटे बिजली मिलती है। गांवों की बात करें तो सर्वाधिक 23.8 घंटे बिजली गोआ और महाराष्ट्र में मिलती है।